21 नवंबर, 2010

शहीदों के जिस्म पर

शहीदों के जिस्म पर लगेंगे कब तलक जख्म गहरे,
कब तक बैठे रहेंगे निर्वाक लगाए सोच पर पेहरे,
निर्दोश लहू आखिर कब तक शहीद कहलाएगा,
पाक की सरजमीं पर तिरंगा कब लहराएगा !!

आज़ाद घूम रहे दुश्मन दोस्तों के ही भेस में,
मुल्ला-उमर,लादेन जैसे पनप रहे आज के परिवेश में,
पह्चान ही गये हैं जब हम अपने दुश्मनों को तो,
विलम्ब क्यूं लग रहा समर बिगुल के आदेश में !

रावलपिन्डी में अब लहरा जाये पर्चम हिन्दुस्तान का,
नाम मिटा दो इस धरती से पापी पाकिस्तान का,
ईन्ट से ईन्ट बजा दो आज़ाद हिन्द के रखवालों,
है यही ऐलान आज हिन्द के हर नौजवान का !

निकाल लो उन आँखों को जो हमको घूर रहीं,
रावलपिन्डी और कराची अब नजरों से दूर नहीं,
भडक उट्ठी है ज्वाला अब खैर नहीं अतंकवाद की,
हम लें किसी का सहारा इतने हम मज़बूर नहीं !

वतन की आन पर प्रहरी मौत की नींद सो जाता है,
बरूदी होली खेल कर तिरंगे को गगन तक उठाता है,
अफ़सोस मगर रजनेताओं का चरित्र कितना बोना हो गया,
शहीदों के कफ़न से भी जहाँ का मन्त्रालय रिशवत खा जाता है !

या तो कह दो कि बाजुओं में हमारी दम नहीं,
वर्ना बता दो समुचे विश्व को कि हम किसी से कम नहीं,
होना है तो हो जाए एक बार युद्ध आर-पार का,
छीन लो उस धरती को जो ॒क्षॆत्र है हमारे अधिकार का !
****धर्मेन्द्र

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर व भावपूर्ण कविता।
    हिन्दी लेखन के लिए आप को शुभकामनायें
    संपादक
    दुधवा लाइव
    http://dudhwalive.com

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  2. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति|

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  3. सोच को शब्द देने का सार्थक प्रयास - शुभकामनाएं

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  4. निर्दोश लहू आखिर कब तक शहीद कहलाएगा,
    पाक की सरजमीं पर तिरंगा कब लहराएगा !!
    प्रश्न उत्तर विहीन है लेकिन फिर भी खोज जारी है

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  5. भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

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